UP BED DELED College Closed: अब शिक्षक बनने का सपना अधूरा! यूपी के हजारों डीएलएड और b.ed कॉलेज हुए बंद

UP BED DELED College Closed: उत्तर प्रदेश में 1066 ऐसे बीएड और डीएलएड कॉलेज हैं जिसकी मान्यता ही रद्द कर दिया गया है उत्तर प्रदेश में B.Ed डीएलएड जैसे शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठ रहे थे। और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा बड़ा कदम उठाया गया है और राज्य के 1066 प्रशिक्षण महाविद्यालय की जो मान्यता है उसे रद्द कर दिया गया है। जिसमें करीब 560 बीएड महाविद्यालय ही सम्मिलित है जबकि संस्थान डीएलएड यानी कि बीटीसी प्रशिक्षण वर्तमान में प्रदान कर रहे थे।

एनसीटी ने 1066 बीएड और डीएलएड कॉलेज की मान्यता की रद्द

एनसीटीई के इस निर्णय के पीछे बहुत बड़ा कारण है। NCTE के माध्यम से समय-समय पर मांगे गए प्रोफेशनल अप्रेजल रिकॉर्ड को निर्धारित समय सीमा में जमा न करना यहां पर सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। परिषद ने कॉलेज से शैक्षणिक सत्र 2022-23 वर्ष 23-24 हेतु आवश्यक जानकारियां मांगी थी। इन जानकारी में भूमि का दस्तावेज था। भवन की स्थिति सम्मिलित था। वित्तीय विवरण सम्मिलित फैकेल्टी प्रोफाइल सम्मिलित प्रयोगशालाओं की स्थिति सम्मिलित छात्र संख्या से संबंधित दस्तावेज ऑनलाइन माध्यम से मंगाया गया था। परंतु बार-बार अनुस्मारक भेजे जाने के बाद बावजूद भी कुल ऐसे 1066 कॉलेज हैं जो कि आवश्यक सूचनाओं उपलब्ध नहीं किए थे। जिसकी वजह से NCTE की नॉर्दर्न रीजनल कमेटी के द्वारा उनकी मान्यता ही समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया है।

एनसीटी ने खराब गुणवत्ता के खिलाफ अपनाया कड़ा रूख

पिछले कुछ वर्षों में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की बात कर लिया जाए तो बिना मानकों के बड़ी संख्या में खुलने की प्रवृत्ति की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता को काफी नुकसान उत्तर प्रदेश में पहुंचा है और इन कॉलेज पर सबसे बड़ा आरोप यह है केवल यह डिग्री बांटने के केंद्र पूरी तरह से बन गए थे। जिससे बेरोजगार शिक्षकों की जो फौज खड़ी है वह खड़ी हो रही थी और लेकिन गुणवत्ता पूरी तरीके से शून्य हो रही थी।

तमाम सूत्रों के आधार पर जो यह निर्णय अचानक ही नहीं हुआ है केंद्र सरकार के निर्देश पर परिषद ने देश भर में जितने भी संचालित शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान है इसकी गुणवत्ता जांच हेतु प्रक्रिया शुरू किया था। जिसके तहत उत्तरी भारत के राज्य और उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में जितने भी संचालित 3000 से ऐसे महाविद्यालय हैं जिनको सूचीबद्ध किया गया था जिन पर मान्यता समाप्त की तलवार पूरी तरीके से लटकी हुई है।

अधो मानक संस्थान अब नहीं संचालित होगा

जानकारी यह निकल कर आ रही है कि इन कॉलेज के पीछे कई का संचालन प्रभावशाली राजनेता पूर्व मंत्री व विधायक व नौकरशाह और उनके परिजनों के माध्यम से किया जा रहा था। ऐसे में मान्यता समाप्त किए जाने का निर्णय पर दबाव डालने की भी कोशिश किया जा रहा था। लेकिन परिषद के जो उच्च अधिकारी और मंत्रालय के सूत्रों के यहां पर यह पूरी तरह से कहना है कि केंद्र सरकार ऑफिस मामले में किसी प्रकार की कोई नरमी नहीं बरतने वाली है क्योंकि शिक्षा के गुणवत्ता से यह खिलवाड़ होता और प्रधानमंत्री कार्यालय तक इस मुद्दे की जो रिपोर्ट है वह भी पहुंच चुका है और पूरी तरह से स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि कोई भी अधमनक संस्थान आप संचालित नहीं होगा।

अभिभावकों को छात्रों की बढ़ गई अब चिंता

इस निर्णय के बाद अभिभावकों व छात्रों की काफी चिंताएं बढ़ चुकी है। सबसे अधिक प्रभावित छात्र है जिन्होंने इन कालेजो में दाखिला पहले से ही ले रखा है और प्रवेश की प्रक्रिया में बात है मान्यता समाप्त किए जाने के बाद उनका जो भविष्य है वह अधर में लटक गया है परिषद के माध्यम से जल्द ही दिशा निर्देश भी जारी किया जाने वाला है। जिसमें वैकल्पिक व्यवस्था या फिर अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान में समायोजन की बात कही जा सकती है।

शिक्षा विशेषज्ञों का यहां पर यह कहना है कि यह जो फैसला है कड़ा है लेकिन जरूरी सुधारो की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि गुणवत्ता आधारित शिक्षण यहां पर तय नहीं होते हैं तो देश की शिक्षा व्यवस्था पर उसका जो दूरगामी नकारात्मक का असर भी पड़ने वाला है। उन्होंने सरकार से अभियान की आएगी प्रभावित छात्रों के हेतु तत्काल समाधान पेश कर दिया जाए और भविष्य मान्यता की जो प्रक्रिया उसको पारदर्शी व तकनीकी आधार पर तय किया जाए।

एनसीटीई ने पिछले वर्ष भी किया था मान्यता रद्द

एनसीटीई के माध्यम से पिछले वर्ष भी काफी कड़ी कार्रवाई किया गया था। देश भर की कुल 1300 से अधिक प्रशिक्षण संस्थानों की मान्यता समाप्त किया गया था। जिनमें से अकेले उत्तर प्रदेश में ही 1000 से अधिक कॉलेज सम्मिलित थे। इसके बावजूद बड़ी संख्या में कॉलेज द्वारा नियमों की अभी भी अनदेखी भी किया जा रहा है केंद्र सरकार और NCTE ने पूरी तरह से स्पष्ट किया है कि बुनियादी सुविधा व योग्य फैकल्टी के कोई भी संस्थान और शिक्षा प्रशिक्षण का कार्य नहीं कर पाएगा।

हाई कमेटी स्तर पर लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बताया है और उन्होंने कहा है कि नाम न छापने की शर्त पर बताया जा रहा है कि यह जो फैसला NCTE स्तर पर ही नहीं हुआ है बल्कि केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर पूरी तरह से लिया गया है। NCTE ने कहा है गुणवत्ता से समझौता किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगा। NCTE अध्यक्ष के कार्यालय ने भी इस आदेश का पुष्टि कर दिया है। यह भी यहां पर स्पष्ट किया गया है कि जिन कॉलेजों की मान्यता रद्द हुई है अगर वह उचित समय पर अपना पीएआर जमा कर देते हैं तो पुनः मान्यता हेतु आवेदन कर पाएंगे लेकिन इसके लिए सख्त निरीक्षण व सत्यापन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।

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